Friday, March 22, 2013

अमृत बिंदु




·        तोमार अज्ञाये एक एक सेवक तोमार, अनंत ब्रह्माण्ड पारे करिते उद्धार- आपकी (भगवान् गौरचन्द्र)आज्ञा से आपका प्रत्येक सेवक अनंत ब्रह्माण्डों का उद्धार करने में सक्षम है| चै॰भा॰१.२.१५९

·        कृष्ण नामजप जनित आनंद की उत्तरोत्तर वृद्धि नित्यानंद-गौरांग नामजप से युक्त होने पर होती है जिससे लीला दृष्टिगोचर हो पड़ती है|

·        गौरानुगत्य में कृष्ण-लीला का आस्वादन करने हेतु गौरांग-नामभजन में अनुरक्त होना होगा, जिससे महामंत्र का गूढार्थ प्रकट हो सके|

·        हरिनाम के यथार्थ रसास्वादन में सहायक गौरांग-नाम की अवहेलना करने वाले जन के संग का वर्जन करना ही भजन के अनुकूल है|         

·        परम-औदार्य नित्यानंद-गौरांग नामजप की महिमा को रंच-मात्र भी अल्पिकृत करने की इच्छा करने वाले लोगों के कुदर्शन हमें कदापि प्राप्त न हो|

·        नित्यानंद-गौरांग नामश्रवण से जो प्रसन्न नहीं होते, ऐसे लोगों का संग करने से तो पूर्णत: एकांत वास करना ही श्रेयस्कर है|                     

·        यह कितनी बड़ी विडम्बना है की असंख्य कृष्ण-भक्तों में से एक ऐसे व्यक्ति का मिलना भी दुर्लभ है जो गौरांग नाम के जप-प्रचार हेतु उत्साहित हो|

·        मैं उस दिन हेतु प्रतीक्षारत हूँ जब निताइ-गौर-रसिक का सान्निध्य प्राप्त कर के निताइ-गौर-नाम-रूप-गुण-प्रेम से आप्लावित हो जाऊंगा|

·        मेरे लिए भजनपथ दुर्गम रहा चूँकि चैतन्यचरितामृत १९ वर्ष की आयु में प्राप्त हुई| मैं यह मार्ग दूसरों के लिए सुगम करना चाहता हूं|

·        कृष्ण-प्रचारक जग में बहुत हैं| अत: यदि मैं निताइ-गौर प्रचार से स्खलित हो जाता हूँ, तो यह यथार्थ निताइ-सेवा नहीं होगी

·        निताइ-गौर ने निजनाम को प्रछन्न रखा, की साधारणत: कृष्ण भक्तों को भी हरिनाम सम गौरनाम में श्रद्धायुक्त होने में वर्षों लग जाते हैं|

·        यदा-कदा लगता है की प्रचार को छोड़ कर अन्यकार्य शिष्यों को प्रदान करदूं क्योंकि संन्यासी केवल अपने शब्द ही जग में छोड़ जाता है|    

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