गौर-कृष्ण पार्षद
The eternal associates of Gaur-Krishna (Gauranga)
ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत
श्रीश्रीमद्भक्तिरत्न साधु स्वामी गौराङ्गपाद द्वारा रचित
श्रील सार्वभौम भट्टाचार्य स्व-रचित शतक में उल्लेख करते
हैं की कलियुग अवतार श्रीश्री नित्यानन्द-गौराङ्ग महाप्रभु की आराधना से भी
सर्वोपरि उनके परम उदार परिकर-वृन्द की आराधना है|
श्रील नरोत्तम दास ठाकुरपाद नित्यानन्द-गौराङ्ग के परिकर-वृन्द
का यशोगान इस प्रकार से करते हैं:
गौराङ्गेर संगी गणे, नित्य-सिद्ध करि
माने
सेइ जाएँ ब्रजेन्द्र सुत पास
“वृजेन्द्रसुन्दर श्रीकृष्ण के दर्शन लाभ प्राप्त करने का
अत्यंत रहस्यपूर्ण, किन्तु सुगम उपाय यह है की दर्शनाकांक्षी सदैव अचल विश्वास रखे
की नित्यानन्द-गौराङ्ग के परिकर उनकी भाँती पूर्ण, तथा उनके नित्यकालीन पार्षद-वृन्द
हैं|“
किन्तु किसी व्यक्ति का निताइ-गौर-पार्षदवृन्द के प्रति इस
प्रकार का दृढ़ विश्वास होना भला किस प्रकार संभव है, यदि वह राधाकृष्ण-लीला के
अंतर्गत इन पार्षदगण के नित्य-स्वरुप से ही अनभिज्ञ हो? इसी कारण को लक्ष्य करके
कविप्रवर श्रील कविकर्णपूर ने “श्री गौर-गणोद्देश-दीपिका” सदृश अनुपम ग्रन्थ की
रचना की, ताकि नित्यानन्द-गौराङ्ग-पार्षदवृन्द के नित्यस्वरुप से समस्त संसार
परिचित हो सके|
इस ग्रन्थ, तथा अन्यान्य ग्रन्थ-समूह से नित्यानन्द-गौराङ्ग
के परिकर-स्वरुप को सूचीबद्ध रूप में संकलित करके प्रस्तुत किया गया है, ताकि नित्यानन्द-गौराङ्ग-परिकर
में समस्त पाठकगण की उत्तरोत्तर श्रद्धा-वृद्धि हो, जिससे वे शीघ्र ही भगवद्धाम की
प्राप्ति कर सकें|
वस्तुतः श्रील कविकर्णपूर ने ही कहा है की साधारण जीवों की नित्यानन्द-गौराङ्ग-परिकर
में अचल श्रद्धा होना कठिन है, क्योंकि साधारण जीवों के लिए शुद्धभक्त की स्थिति
को समझ पाना अत्यंत क्लिष्ट है| कुछ परिकरगण तो युगपत् एक वपु (देह) में ही
सम्मिलित रूप से अवतरित होते हैं, अतः उन सब के स्वरुप को सूचीबद्ध करना भी सरल
कार्य नहीं है| अतः, यद्यपि यहाँ पर गौर-परिकर समूह के राधाकृष्ण लीलान्तर्गत
स्वरुप को सूचीबद्ध किया जा रहा है, तथापि इस सूची में किसी त्रुटी का होना असंभवपर
नहीं है|
किन्तु निताइ-गौर के सारग्राही भक्तवृन्द से हम आशा करते
हैं कि यह सूची उन्हें ‘नित्यानन्द’ व ‘गौराङ्ग’ मंत्रराज, तथा हरेकृष्ण महामंत्र का
जप करते समय निताइ-गौर-पार्षद की दया-प्राप्ति हेतु उद्दीपन–स्त्रोत होगी|
अष्ट-गोस्वामीगण:
रूप,
सनातन, लोकनाथ, रघुनाथ दास, रघुनाथ भट्ट, जीव, गोपाल भट्ट, कृष्णदास कविराज
अष्ट कविराज:
श्री जाह्नवा
देवी, गोविन्द कविराज, कविकर्णपूर कविराज, नृसिंह कविराज, भगवान् कविराज,
बल्ल्वीकान्त, गोपीरमण, गोविन्द कविराज
भगवान् नित्यानन्द प्रभु के कृष्णलीला अंतर्गत द्वादश गोपाल सखा:
अभिराम
ठाकुर, सुन्दरानन्द, धनञ्जय, गौरीदास पण्डित, कमलाकर पिप्पलई, उद्धारण दत्त, महेश पण्डित
, पुरुषोत्तम दास, नागर पुरुषोत्तम, परमेश्वर दास, श्रीधर खोलवेचा, काला कृष्ण दास
गौर लीला में श्रीश्रीराधाकृष्ण की अष्ट-प्रधान सखी:
रामानन्द राय (विशाखा), स्वरुप दामोदर (ललिता), वनमाली
कविराज (चित्रा), राघव गोस्वामी (चम्पकलता), प्रबोधानन्द सरस्वती ठाकुर
(तुङ्गविद्या), कृष्ण दास ब्रह्मचारी (इन्दुलेखा), गदाधर भट्ट (रङ्गदेवी), अनंत
आचार्य गोस्वामी (सुदेवी)
श्री नित्यानन्द-गौराङ्ग परिकर की श्रीराधाकृष्ण लीला में नित्य-स्वरुप की
सूची:
क्र॰
|
नित्यानन्द-गौराङ्ग परिकर
|
राधाकृष्ण लीला के अंतर्गत
उन्ही पार्षदों का स्वरूप क्रम
|
१.
|
श्री गौराङ्ग
महाप्रभु
|
श्रीराधा +
व्रजेंद्रनन्दन कृष्ण (व्रजेंद्रनन्दन कृष्ण में – श्रीद्वारिकाधीश + श्रीवासुदेव कृष्ण + अन्यान्य अवतार समूह
सम्मिलित हैं)
|
२.
|
श्री नित्यानन्द
प्रभु
|
श्री हलधर बलराम +
मूल संकर्षण + पुरुषावतार-त्रयी + अनंत शेष
|
३.
|
श्री अद्वैत
आचार्य
|
श्री सदाशिव +
श्री महाविष्णु
|
४.
|
श्री गदाधर पण्डित
|
श्रीराधा
(ह्लादिनी शक्ति) + ललिता + हरि
|
५.
|
श्रीवास पण्डित (भक्त-प्रवर)
|
नारद मुनि (महान
कृष्ण भक्तों के आदि-गुरु)
|
६.
|
श्री विश्वरूप
(श्री गौराङ्ग के अग्रज)
|
बलदेव प्रभु के
अंश श्रीसंकर्षण
|
७.
|
श्री नवद्वीप धाम
|
वृन्दावन + गोलोक
+ श्वेतद्वीप + वैकुण्ठ
|
८.
|
सीतादेवी
(अद्वैताचार्य की भार्या)
|
योगमाया +
कात्यायिनी
|
९.
|
शची माता
|
यशोदा + देवकी +
कौशल्या + अदिति + पृश्नि
|
१०.
|
जगन्नाथ मिश्र
|
नन्द + वासुदेव +
दशरथ + कश्यप + सुतपा
|
११.
|
पुण्डरीक
विद्यानिधि
|
वृषभानु (श्रीराधा
के पिता)
|
१२.
|
पद्मावती (नित्यानन्द
प्रभु की माता)
|
रोहिणी (बलराम की
माता) + सुमित्रा (लक्ष्मण की माता)
|
१३.
|
हाड़ाई पण्डित /मुकुंद
पण्डित /मुकुंद बंधोपाध्याय/हाड़ाई ओझा (नित्यानन्द प्रभु के पिता)
|
वसुदेव (बलराम के
पिता) + दशरथ (राम-लक्ष्मण के पिता)
|
१४.
|
लक्ष्मीप्रिया (गौराङ्ग
महाप्रभु की प्रथम भार्या)
|
रुक्मिणी (कृष्ण
की प्रथम प्रधान पट्टमहिषी) + सीता (भगवान् राम की भार्या) + महालक्ष्मी (भगवान् विष्णु की भार्या)
|
१५.
|
विष्णुप्रिया (गौराङ्ग
महाप्रभु की द्वितीय भार्या)
|
भूशक्ति
(लक्ष्मीत्रय-विग्रह में से एक)
|
१६.
|
जगदानन्द पण्डित
|
सत्यभामा (कृष्ण
की द्वितीय प्रधान पट्टमहिषी)
|
१७.
|
जाह्नवा (नित्यानन्द
प्रभु की प्रथम भार्या)
|
रेवती (बलराम की
प्रथम भार्या) + अनङ्ग मंजरी
|
१८.
|
वसुधा (नित्यानन्द
प्रभु की द्वितीय भार्या)
|
वारुणी (बलराम की
द्वितीय भार्या) + अनङ्ग मंजरी
|
१९.
|
वीरचन्द्र (नित्यानन्द
प्रभु के पुत्र)
|
क्षीरोदकशायी
महाविष्णु (परमात्मा)
|
२०.
|
रघुनन्दन ठाकुर
|
प्रद्युम्न
(चतुर्व्यूह विष्णु-मूर्ति) + कंदर्प मंजरी
|
२१.
|
वक्रेश्वर पण्डित
|
अनिरुद्ध
(चतुर्व्यूह विष्णु-मूर्ति) + कृष्ण के प्रपौत्र
|
२२.
|
गोपीनाथ आचार्य
|
सृष्टिकर्ता
ब्रह्मा
|
२३.
|
मुरारी गुप्त
|
श्रीराम-भक्त
हनुमान
|
२४.
|
गोविंदानन्द
|
सुग्रीव (राम लीला
में वानर-सम्राट)
|
२५.
|
रामचन्द्र पुरी
|
जटिला (श्रीराधा
की सास) + रामभक्त विभीषण
|
२६.
|
हरिदास ठाकुर
|
सृष्टिकर्ता
ब्रह्मा + भक्तराज प्रहलाद + महत्तपा (ॠचिका के पुत्र)
|
२७.
|
नीलाम्बर
चक्रवर्ती
|
गर्ग मुनि (कृष्ण
के नामकरण संस्कार लीला में पुरोहित)
|
२८.
|
वृन्दावन दास
ठाकुर
|
वेदव्यास +
कुसुमापीड़ सखा
|
२९.
|
भिक्षुक वनमाली
|
सुदामा विप्र
(कृष्ण के बाल्यकालीन सखा)
|
३०.
|
परमानन्द
पुरी
|
उद्धव (द्वारिका
में श्रीकृष्ण के प्रिय दास)
|
३१.
|
गोपीनाथ सिंह
|
अक्रूर (श्रीकृष्ण
के चाचा)
|
३२.
|
केशव भारती (गौराङ्ग के संन्यास गुरु)
|
सांदीपनी मुनि
(कृष्ण-बलराम के गुरु) + अक्रूर
|
३३.
|
महाराज
प्रतापरूद्र
|
स्वर्गाधिपति
इंद्र + महाराज इन्द्रद्युम्न (पुरी के राजा)
|
३४.
|
सार्वभौम
भट्टाचार्य
|
बृहस्पति (इंद्र
के गुरु)
|
३५.
|
चतुर्नाथ
(काशीनाथ, लोकनाथ, श्रीनाथ, रमानाथ)
|
चतुर्कुमार (सनक,
सनन्दन, सनातन, सनत्कुमार)
|
३६.
|
भास्कर ठाकुर
|
विश्वकर्मा (देवों
के शिल्पकार)
|
३७.
|
जगन्नाथ – माधवानन्द
(जगाई – मधाई)
|
जय – विजय
(वैकुण्ठ के द्वारपाल)
|
३८.
|
चैतन्य दास
|
दक्ष (श्रीकृष्ण
का शुक)
|
३९.
|
राम दास
|
विचक्षण
(श्रीकृष्ण का शुक)
|
४०.
|
गरुड़ पण्डित
|
गरुड़ (श्रीविष्णु
के वाहन)
|
|
|
गोपगण (कृष्ण
सखा)
|
४१.
|
राम दास अभिराम
ठाकुर
|
श्रीदाम (श्रीराधा
के ज्येष्ठ भ्राता)
|
४२.
|
सुन्दरानन्द ठाकुर
|
सुदामा (वृन्दावन
में एक गोप)
|
४३.
|
धनञ्जय पण्डित
|
वसुदाम
|
४४.
|
गौरीदास पण्डित
|
सुबल
|
४५.
|
कमलाकर
पिप्पलई
|
महाबल
|
४६.
|
उद्धारण दत्त
|
सुबाहु
|
४७.
|
महेश पण्डित
|
महाबाहु
|
४८.
|
पुरुषोत्तम दास
|
स्तोक कृष्ण
|
४९.
|
नागर पुरुषोत्तम
|
दाम
|
५०.
|
काला (कालिय)
कृष्ण दास
|
लवङ्ग
|
५१.
|
श्रीधर
खोलवेचा
|
कुसुमासव
|
५२.
|
मुकुंद दत्त
|
मधुकण्ठ
|
५३.
|
वसुदेव दत्त
|
मधुव्रत +
प्रह्लाद
|
५४.
|
वनमाली पण्डित
|
मालाधर
|
५५.
|
कुमुदानन्द पण्डित
|
गन्धर्व
|
५६.
|
हलायुध ठाकुर
|
प्रबल
|
५७.
|
परमेश्वर दास
|
अर्जुन (वृन्दावन
में श्रीकृष्ण के सखा)
|
५८.
|
रूद्र पण्डित
|
वरुन्थप
|
५९.
|
रमाई
|
पयोद
|
६०.
|
नंदाई
|
वारिद
|
|
|
गोपीगण (कृष्ण
सखियाँ)
|
६१.
|
सदाशिव कविराज
|
चन्द्रावली
|
६२.
|
रामानन्द राय
|
ललिता (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)+ अर्जुनिया गोपी + अर्जुन (गोप सखा) + अर्जुन (पाण्डव)
|
६३.
|
स्वरूप दामोदर
गोस्वामी
|
विशाखा (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६४.
|
वनमाली कविराज
|
चित्रा (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६५.
|
राघव
गोस्वामी
|
चम्पकलता (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६६.
|
प्रबोधानन्द
सरस्वती ठाकुर
|
तुङ्गविद्या (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६७.
|
कृष्ण दास
ब्रह्मचारी
|
इंदुलेखा (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६८.
|
गदाधर भट्ट
|
रङ्गदेवी (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
६९.
|
अनंत आचार्य
गोस्वामी
|
सुदेवी (अष्ट
सखियों में सखी-विशेष)
|
७०.
|
राघव पण्डित
|
धनिष्ठा
(श्रीकृष्ण के निमित्त भोज्य-वस्तु रंधन करती हैं)
|
७१.
|
सारङ्ग ठाकुर
|
नंदिमुखी
|
७२.
|
मुकुंद दास
|
तुलसी महारानी
वृंदादेवी
|
७३.
|
काशीश्वर गोस्वामी
|
शशिरेखा गोपी
|
७४.
|
कृष्ण दास
|
रत्नरेखा
गोपी
|
७५.
|
शंकर पण्डित
|
भद्रा
|
७६.
|
दामोदर पण्डित
|
शैब्या गोपी +
वाग्देवी सरस्वती
|
७७.
|
कृष्णानन्द
|
कलावती
|
७८.
|
गोविन्द घोष
|
कलावती
|
७९.
|
नारायण वाचस्पति
|
सौरासनी
|
८०.
|
पीताम्बर
|
कावेरी
|
८१.
|
मकरध्वज
|
सुकेशी
|
८२.
|
मध्वाचार्य
|
माधवी
|
८३.
|
कविचन्द्र
|
मनोहरा
|
८४.
|
वसु रामानन्द
|
कलाकण्ठी
|
८५.
|
सत्यराज सेन
|
सुकण्ठी
|
८६.
|
श्रीकान्त सेन
|
कात्यायिनी देवी
गोपी
|
८७.
|
शिवानन्द सेन (गौराङ्ग
मंत्राचार्य)
|
वीरा गोपी + दूती
गोपी (सखियों की दूती)
|
८८.
|
शिवानन्द सेन की
भार्या
|
बिन्दुमती
|
८९.
|
नरहरि सरकार
|
मधुमती
|
९०.
|
गोपीनाथ आचार्य
|
रत्नावली गोपी
|
९१.
|
वंशी दास गोस्वामी
|
वंशी (श्रीकृष्ण
का प्रिय वाद्य)
|
९२.
|
रूप गोस्वामी
|
रूप मंजरी
|
९३.
|
सनातन गोस्वामी
|
रति मंजरी + लवङ्ग
मंजरी + सनातन कुमार (चतु:सन में से एक)
|
९४.
|
शिवानन्द
चक्रवर्ती
|
लवङ्ग मंजरी
|
९५.
|
गोपाल भट्ट
गोस्वामी
|
अनङ्ग मंजरी + गुण
मंजरी
|
९६.
|
रघुनाथ भट्ट
गोस्वामी
|
राग मंजरी
|
९७.
|
रघुनाथ दास
गोस्वामी
|
रस मंजरी + रति
मंजरी + भानुमती
|
९८.
|
जीव गोस्वामी
|
विलास मंजरी
|
९९.
|
नारायणी (श्रील
वृन्दावन दास ठाकुर की माता)
|
किलिम्बिका
(अम्बिका की बहन)
|
१००.
|
भूगर्भ गोस्वामी
|
प्रेम मंजरी +
भद्र रेखिका
|
१०१.
|
लोकनाथ गोस्वामी
|
लीला मंजरी
|
१०२.
|
माधवानन्द
|
रसोल्लासा (विशाखा
के निकट गायन करती हैं)
|
१०३.
|
वासुदेव घोष
|
गुणतुङ्गा (विशाखा
के निकट गायन करती हैं)
|
१०४.
|
शिखी माहिती
|
रङ्गलेखा
|
१०५.
|
माधवी (शिखी
माहिती की बहन)
|
कलाकेली
|
१०६.
|
कालिदास
|
मल्लिदेवी (व्रज
के पुलिंद की पुत्री)
|
१०७.
|
शुक्लाम्बर
ब्रह्मचारी
|
याज्ञिक
ब्राह्मण-पत्नीगण में से एक – (जब ब्राह्मणों ने श्रीकृष्ण को भोजन प्रदान नहीं
किया तो उनकी पत्नियों ने उन्हें भोजन कराया)
|
१०८.
|
जगदीश ,
हिरण्य
|
दो याज्ञिक
ब्राह्मण-पत्नीगण
|
१०९.
|
काशी मिश्र /
काशीनाथ (नीलाचल वासी)
|
सैरिन्ध्री (मथुरा
की कुब्जा)
|
११०.
|
शुभानन्द द्विज
|
मालती
|
१११.
|
श्रीधर ब्रह्मचारी
|
चन्द्रलतिका
|
११२.
|
परमानन्द गुप्त
|
मंजुमेधा
|
११३.
|
रघुनाथ
|
वारंगद
|
११४.
|
कंसारी सेन
|
रत्नावली
|
११५.
|
जगन्नाथ सेन
|
कमला
|
११६.
|
सुबुद्धि मिश्र
राय
|
गुणचूड़ा +
शुभानना
|
११७.
|
श्रीहर्ष
|
सुकेशिनी
|
११८.
|
रघु मिश्र
|
कर्पूर मंजरी
|
११९.
|
जितमित्र
|
श्याम मंजरी
|
१२०.
|
श्रीमद्भागवताचार्य
(कृष्ण-प्रेम-तरङ्गिनी के रचयिता)
|
श्वेत मंजरी
|
१२१.
|
वाणीनाथ
द्विज
|
कामलेखा
मंजरी
|
१२२.
|
ईशान ठाकुर
(शचीमाता के सेवक)
|
मौन मंजरी
|
१२३.
|
कमल (कमलाकर)
|
गंधोन्मादा
|
१२४.
|
लक्ष्मीनाथ पण्डित
|
रसोन्मादा
|
१२५.
|
द्विज जगन्नाथ
|
चन्द्रिका
|
१२६.
|
चिरंजीव
|
चन्द्रिका
|
१२७.
|
अनंत कंठाभरण
|
गोपाली
|
१२८.
|
हस्तिगोपाल
|
हारिणी
|
१२९.
|
नयन मिश्र
|
नित्य मंजरी
|
१३०.
|
कवि दत्त
|
कलाकण्ठी
|
१३१.
|
सुलोचना
|
कुरङ्गाक्षी
|
१३२.
|
कृष्णदेव
|
चन्द्रशेखर
|
१३३.
|
कृष्णदास कविराज
गोस्वामी
|
कस्तूरी
मंजरी
|
१३४.
|
गोविन्द आचार्य
|
पौर्णमासी
|
१३५.
|
माधवेंद्र पुरी
|
योगपीठ स्थित
कल्पवृक्ष
|
१३६.
|
ईश्वर पुरी
|
योगपीठ स्थित
कल्पवृक्ष के श्रृंगार (माधुर्य) रस रूपी फल
|
१३७.
|
मधु पण्डित गोस्वामी
|
मंडली सखी
|
१३८.
|
मध्वाचार्य
|
माधवी गोपी
|
१३९.
|
भावानन्द राय
|
पांडु
(पञ्च-पांडवों के पिता)
|
१४०.
|
चन्द्रशेखर आचार्य
|
चन्द्रदेव
|
१४१.
|
नरोत्तम दास ठाकुर
|
चमक मंजरी
|
१४२.
|
श्रीनिवास आचार्य
ठाकुर
|
मणि मंजरी
|
१४३.
|
रामचन्द्र कविराज
|
कर्ण मंजरी
|
१४४.
|
अनंत आचार्य
|
रामानुजाचार्य
|
१४५.
|
गदाधर दास
|
चन्द्रकान्ति गोपी
(श्रीराधा की देह-कान्ति) + पुरानन्दा गोपी (श्रीबलराम की प्रिय गोपी)
|
१४६.
|
जगदीश पण्डित
|
चन्द्रहास (उत्कृष्ट
नृतक) + कालिय नाग की पत्नियों में से एक
|
१४७.
|
रामानन्द,
गोपीनाथ, वाणीनाथ, कलानिधि, सुधानिधि
(भावानन्द राय के पञ्च-पुत्र)
|
पञ्च-पांडव
(अर्जुन, युधिष्ठिर, भीम, सहदेव, नकुल)
|
१४८.
|
सनातन मिश्र
|
सत्यजीत (सत्यभामा
के पिता)
|
१४९.
|
उपेन्द्र मिश्र (गौराङ्ग
महाप्रभु के पितामह)
|
पार्जन्य
(श्रीकृष्ण के पितामह)
|
१५०.
|
देवानन्द पण्डित
|
भागुरी मुनि (नन्द
महाराज के राज पुरोहित)
|
१५१.
|
गंगा दास पण्डित
(महाप्रभु के प्रिय पात्र)
|
दुर्वासा ऋषि
|
१५२.
|
गंगा दास पण्डित
(महाप्रभु के विद्या गुरु)
|
वशिष्ठ मुनि
(भगवान् राम के विद्या-गुरु)
|
१५३.
|
वल्लभ भट्ट
|
शुकदेव
(श्रीमद्भागवतम के कथाकार)
|
१५४.
|
मालिनी (श्रीवास
ठाकुर की भार्या)
|
अम्बिका
(श्रीकृष्ण की धाय-माँ)
|
१५५.
|
वल्लभाचार्य
(श्रीलक्ष्मीप्रिया के पिता)
|
राजा भीष्मक
(श्रीकृष्ण के श्वसुर) + राजा जनक (श्रीराम के श्वसुर)
|
१५६.
|
पुरंदर
|
अङ्गद (राम-लीला
में वानर-राज बाली व तारा के पुत्र)
|
१५७.
|
कमलावती देवी
|
महामान्या वरीयसी
(श्रीकृष्ण की पितामही)
|
१५८.
|
वनमाली आचार्य
|
विश्वामित्र +
रुक्मिणी के दूत-ब्राह्मण
|
१५९.
|
काशीनाथ
|
कुलक ब्राह्मण
(सत्यभामा के द्वारा कृष्ण के निकट विवाह के लिए भेजे गए ब्राह्मण-दूत)
|
१६०.
|
माधव मिश्र
|
श्री वृषभानु (श्री
राधा के पिता)
|
१६१.
|
रत्नावली
(पुण्डरीक विद्यानिधि की भार्या)
|
कीर्तिदा (श्री
राधा की माता)
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१६२.
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सूर्यदास सारखेल
(जाह्नवा देवी के पिता)
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रजा कुकुद्मी
(देवी रेवती के पिता)
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१६३.
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गंगादेवी (नित्यानन्द
प्रभु की पुत्री)
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गंगा (भागीरथी)
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१६४.
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माधव ( गंगादेवी
के पति)
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शांतनु
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१६५.
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श्रीराम पण्डित (श्रीवास पण्डित के भ्राता)
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पर्वत मुनि (नारद
मुनि के सखा)
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१६६.
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कुबेर (अद्वैत
आचार्य के पिता)
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राजा कुबेर (राजा
गुह्यक)
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१६७.
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अच्युतानन्द
(अद्वैत आचार्य के पुत्र)
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अच्युता गोपी +
कार्तिकेय
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१६८.
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कृष्ण मिश्र
(अद्वैत आचार्य के पुत्र)
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कार्तिकेय
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१६९.
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गोपाल (अद्वैत
आचार्य के पुत्र)
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गणेश
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१७०.
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नकुल ब्रह्मचारी
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गौराङ्ग महाप्रभु
के शक्त्यावेश अवतार
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१७१.
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प्रद्युम्न मिश्र
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गौराङ्ग महाप्रभु
के शक्त्यावेश अवतार
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१७२.
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भगवान् आचार्य
खानजी
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गौराङ्ग महाप्रभु
के शक्त्यावेश अवतार
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१७३.
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नृसिंहानन्द
तीर्थ, सत्यानन्द भारती, नृसिंह तीर्थ, चिदानन्द तीर्थ, जगन्नाथ तीर्थ, वासुदेव
तीर्थ, राम तीर्थ, पुरुषोत्तम तीर्थ तथा गरुड़ अवधूत
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नव-योगेन्द्र
जिन्होंने महाराज जनक को श्रीमद्भागवतम का श्रवण कराया
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१७४.
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अनंत पुरी , सुखानन्द,
गोविन्द, रघुनाथ, कृष्णानन्द, केशव पुरी, दामोदर तथा राघव
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अष्ट सिद्धि :
अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व, कामवयासिता
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१७५.
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श्रीनिधि,
श्रीगर्भ, कविरत्न-शंख , सुधानिधि, विद्यानिधि, गुणनिधि, रत्नबाहु , आचार्यरत्न
– नील मणि तथा रत्नाकर पण्डित (निधिरत्ना देवी के ९ पुत्र)
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कुबेर के शंख आदि नौ
निधियां
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१७६.
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शाचिदेवी के पिता
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सुमुख (यशोदा
मैय्या के पिता)
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१७७.
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शाचिदेवी की
माता
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पाताल देवी (यशोदा
मैय्या की माता)
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१७८.
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उद्धव दास
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चन्द्रदेव के आवेशावतार
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१७९.
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विश्वेश्वर आचार्य
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सूर्य देव
विवस्वान
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१८०.
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भास्कर ठाकुर
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विश्वकर्मा (देवों
के शिल्पकार)
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१८१.
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गोविन्द
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पुण्डरीकाक्ष
(वैकुण्ठ)
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१८२.
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गरुड़
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कुमुद (वैकुण्ठ)
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१८३.
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गोविन्द (गौराङ्ग
महाप्रभु के सेवक)
|
भंगुर (श्रीकृष्ण
के सेवक)
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१८४.
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हरिदास
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रक्तक (श्रीकृष्ण
के सेवक)
|
१८५.
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बृहच्छिसु
|
पत्रक (श्रीकृष्ण
के सेवक)
|
१८६.
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मकरध्वजाकर
|
चन्द्रमुख (व्रज
के एक नृतक)
|
१८७.
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शंकर घोष (मृदंग
वादक)
|
सुधाकर (व्रज के
मृदंग वादक)
|
१८८.
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वनमाल पण्डित
|
मालाधर (वेणु तथा
मुरली का ध्यान रखने वाले)
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१८९.
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ध्रुवानन्द
ब्रह्मचारी
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ललिता सखी
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१९०.
|
जगन्नाथ
|
तारका गोपी
|
१९१.
|
गोपाल
|
पाली गोपी
|
१९२.
|
काशीश्वर (गौराङ्ग
महाप्रभु के सेवक)
|
भृङ्गार सखा
(श्रीकृष्ण के सेवक)
|
१९३.
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दमयंती (राघव पण्डित
की बहन)
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गुणमाला देवी
|
१९४.
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नारायण वाचस्पति
|
गौरसेनी गोपी
|
१९५.
|
जीव पण्डित
|
इंदिरा
|
१९६.
|
विद्या वाचस्पति
|
तुङ्गविद्या
|
१९७.
|
बलभद्र भट्टाचार्य
|
मधुरेक्षण
|
१९८.
|
श्रीनाथ मिश्र
|
चित्राङ्गी
|
१९९.
|
विश्वनाथ
चक्रवर्ती
|
विनोद मंजरी
|
२००.
|
बलदेव विद्याभूषण
|
रत्नावली देवी
(गोपीनाथ आचार्य)
|
२०१.
|
जगन्नाथ दास
बाबाजी
|
रसिक मंजरी
|
२०२.
|
भक्तिविनोद ठाकुर
|
कमल मंजरी
|
२०३.
|
गौरकिशोर दास
बाबाजी महाराज
|
गुण मंजरी
|
२०४.
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भक्तिसिद्धांत
सरस्वती ठाकुर
|
नयनमणि मंजरी
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Shri Gaur Ganoddesh Dipika
ReplyDeleteJay! Nitai Gaur Hari bol! Very Nice translations!
ReplyDeleteSo happy to see hindi version. This was very essential as mostly indian people are comfortable with national language and purpose of this mission is to spread holy names door to door.jai ho jai ho jai ho! !pruthvite nagaraadi sarvtra prachar hoibe mor naam.....
ReplyDeleteThankyou very much....Maybe if not today, then atleast someday Nitai will accept me inspite of the fallen condition I am in, and this will all happen by the Mercy of Pure Devotees, like Srila Gaurangapada.
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